स्नान पूर्णिमा 2025: जगन्नाथ पूजा और उत्सव की पूरी जानकारी

स्नान पूर्णिमा, जिसे देव स्नान पूर्णिमा या स्नान यात्रा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है। यह दिन भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा को समर्पित है। विशेष रूप से ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में यह उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और वर्ष 2025 में यह 11 जून को होगा। इस ब्लॉग में हम स्नान पूर्णिमा 2025 के महत्व, अनुष्ठानों, और जगन्नाथ रथ यात्रा से इसके संबंध के बारे में विस्तार से जानेंगे।

स्नान पूर्णिमा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 10 जून 2025 को सुबह 11:35 बजे शुरू होगी और 11 जून 2025 को दोपहर 1:13 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के आधार पर, स्नान पूर्णिमा का उत्सव 11 जून 2025, बुधवार को मनाया जाएगा।

शुभ मुहूर्त:

  • स्नान और दान का समय: सुबह 4:02 बजे से 4:42 बजे तक (ब्रह्म मुहूर्त) और सुबह 10:35 बजे से दोपहर 12:20 बजे तक (अमृत काल)।
  • चंद्रोदय: 11 जून को शाम 6:45 बजे, जो चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित करने का उपयुक्त समय है।

इस दिन सिद्ध योग, रवि योग, और साध्य योग का संयोग बन रहा है, जो पूजा और दान के प्रभाव को और बढ़ाता है।

स्नान पूर्णिमा का महत्व

स्नान पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। यह पर्व भगवान जगन्नाथ के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा पवित्र स्नान के माध्यम से आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से शुद्ध होते हैं, जो आगामी रथ यात्रा की तैयारी का प्रतीक है।

See also  जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: भगवान जगन्नाथ को कड़वे नीम का भोग क्यों चढ़ाया जाता है?

इस दिन पवित्र नदियों, विशेष रूप से गंगा में स्नान करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा, दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, और पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

स्नान पूर्णिमा और जगन्नाथ रथ यात्रा

स्नान पूर्णिमा, जगन्नाथ रथ यात्रा का पहला महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह उत्सव भक्तों में रथ यात्रा के लिए उत्साह जगाता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा की मूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह से बाहर स्नान मंडप (स्नान बेदी) पर लाया जाता है।

  • अनुष्ठान: वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तीनों देवताओं को 108 कलशों में सुगंधित जल, चंदन, केसर, और औषधियों से स्नान कराया जाता है। इस जल को पुरी में सुना कुआं (स्वर्ण कुआं) से लिया जाता है।
  • हाथी बाशा: स्नान के बाद देवताओं को हाथी जैसे श्रृंगार से सजाया जाता है, जिसे हाथी बाशा कहा जाता है।
  • एकांतवास: स्नान के बाद मान्यता है कि भगवान “बीमार” हो जाते हैं और 15 दिनों के लिए एकांतवास (अनवसर) में चले जाते हैं। इस दौरान उन्हें जड़ी-बूटियों से उपचार दिया जाता है, और भक्त उनके दर्शन नहीं कर पाते। यह अवधि रथ यात्रा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण होती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 27 जून को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरू होगी। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा के नगर भ्रमण का प्रतीक है, जिसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं।

स्नान पूर्णिमा पर क्या करें?

  1. पवित्र स्नान: सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें। यदि यह संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  2. पूजा और व्रत: भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, और चंद्र देव की पूजा करें। इस दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है। फलाहार या हल्का भोजन करें।
  3. दान: जल, छाता, पंखा, सूती वस्त्र, सत्तू, दही, खीर, तरबूज, और धन का दान करें। यह चंद्र दोष को कम करता है और आर्थिक समृद्धि लाता है।
  4. चंद्र अर्घ्य: रात में चंद्रमा को कच्चे दूध से अर्घ्य अर्पित करें।
  5. पौधरोपण: पीपल, नीम, या बरगद का पौधा लगाने का संकल्प लें।
See also  नीम करोली बाबा को कंबल चढ़ाने की सही विधि और महत्वपूर्ण बातें

स्नान पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व

स्नान पूर्णिमा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। इस दिन मंदिरों में भजन-कीर्तन और वैदिक मंत्रों का जाप होता है, जो परिसर को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है। भक्तों को लगता है कि वे भगवान के अलौकिक स्वरूप के साक्षी बन रहे हैं। यह पर्व भक्ति, श्रद्धा, और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।

निष्कर्ष

स्नान पूर्णिमा 2025 भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए एक विशेष अवसर है, जो उनकी भक्ति और आस्था को और गहरा करता है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का भी उत्सव है। 11 जून 2025 को पुरी के जगन्नाथ मंदिर, दिल्ली के त्यागराज नगर, और अन्य मंदिरों में इस उत्सव को श्रद्धापूर्वक मनाएं। स्नान, दान, और पूजा के साथ इस दिन को आध्यात्मिक उन्नति का अवसर बनाएं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *