क्या आपने कभी सोचा है कि सांड को लाल रंग देखकर गुस्सा क्यों आता है? यह एक ऐसा सवाल है जो हम सबके मन में कभी न कभी आया होगा। आइए जानते हैं इस मिथक के पीछे छिपी सच्चाई को।
लाल रंग और सांड का गुस्सा: एक पुरानी मान्यता
बचपन से हमें यह सिखाया जाता है कि सांड को लाल रंग देखकर गुस्सा आता है। इसी वजह से हम सड़क पर सांड देखते ही अपने कपड़ों की जांच करने लगते हैं कि कहीं हमने लाल रंग तो नहीं पहना। लेकिन क्या यह सच है? क्या वाकई में सांड को लाल रंग देखकर गुस्सा आता है?
सच्चाई क्या है?
वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि सांड लाल रंग को देख ही नहीं सकते। सांड और अन्य मवेशी रंगों के प्रति आंशिक रूप से अंधे होते हैं। वे केवल दो मुख्य प्रकार के रंग देख सकते हैं – पीला-हरा और नीला-बैंगनी। इसका मतलब है कि सांड लाल रंग को पीले-भूरे रंग के रूप में देखते हैं।
तो फिर सांड गुस्सा क्यों होते हैं?
सांड का गुस्सा लाल रंग से नहीं, बल्कि उनके सामने लहराए जाने वाले कपड़े की हरकत से आता है। स्पेन में होने वाली बुलफाइटिंग में मैटाडोर (बुलफाइटर) एक लाल कपड़ा लहराता है, जिसे ‘मुलेता’ कहते हैं। सांड इस कपड़े की हरकत से चिढ़ जाता है और उस पर हमला करने के लिए तैयार हो जाता है।
वैज्ञानिक प्रयोग क्या कहते हैं?
डिस्कवरी चैनल के कार्यक्रम ‘मिथबस्टर्स’ ने इस मिथक की जांच के लिए कुछ प्रयोग किए। उन्होंने तीन अलग-अलग रंगों – लाल, नीला और सफेद – के झंडे सांड के सामने रखे। सांड ने बिना किसी भेदभाव के तीनों रंगों के झंडों पर हमला किया।
फिर उन्होंने एक व्यक्ति को लाल कपड़े पहनाकर खड़ा कर दिया और दो अन्य लोगों को अलग रंग के कपड़े पहनाकर हरकत करने को कहा। सांड ने हरकत कर रहे लोगों पर हमला किया, लाल कपड़े पहने खड़े व्यक्ति को नहीं छुआ।
बुलफाइटिंग में लाल कपड़े का इस्तेमाल क्यों?
अगर सांड लाल रंग को नहीं देख सकते, तो फिर बुलफाइटिंग में लाल कपड़े का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? इसके पीछे कुछ कारण हैं:
- परंपरा: बुलफाइटिंग एक पुरानी परंपरा है और लाल रंग का कपड़ा इस खेल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
- खून को छिपाना: बुलफाइटिंग के अंत में सांड को मार दिया जाता है। लाल रंग का कपड़ा सांड के खून के धब्बों को छिपाने में मदद करता है।
- दर्शकों के लिए: लाल रंग दर्शकों को आकर्षित करता है और खेल को और भी रोमांचक बनाता है।
सांड की आंखें कैसे काम करती हैं?
सांड की आंखें मनुष्यों की आंखों से अलग तरह से काम करती हैं। मनुष्यों की आंखों में तीन तरह के कोन सेल होते हैं जो लाल, हरा और नीला रंग देखने में मदद करते हैं। लेकिन सांड की आंखों में केवल दो तरह के कोन सेल होते हैं।
इसका मतलब है कि सांड केवल पीले-हरे और नीले-बैंगनी रंग के बीच अंतर कर सकते हैं। वे लाल और हरे रंग के बीच अंतर नहीं कर सकते।
सांड गुस्सा क्यों होते हैं?
सांड के गुस्से के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- आत्मरक्षा: जब सांड को खतरा महसूस होता है, तो वे अपनी रक्षा के लिए आक्रामक हो जाते हैं।
- क्षेत्र की रक्षा: सांड अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए आक्रामक हो सकते हैं।
- हार्मोन: नर सांड में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन अधिक होता है, जो उन्हें आक्रामक बना सकता है।
- गति: तेज हरकत या अचानक हलचल सांड को गुस्सा दिला सकती है।
सांड से कैसे बचें?
अगर आप कभी सांड के सामने पड़ जाएं, तो इन बातों का ध्यान रखें:
- शांत रहें: घबराएं नहीं और तेज हरकतें न करें।
- धीरे-धीरे पीछे हटें: सांड की ओर पीठ न करें, धीरे-धीरे पीछे हटते जाएं।
- आड़ लें: अगर संभव हो तो किसी पेड़ या दीवार के पीछे छिप जाएं।
- लाल कपड़े न पहनें: हालांकि सांड लाल रंग को नहीं देख सकते, फिर भी सावधानी बरतना अच्छा है।
निष्कर्ष
तो अब आप जान गए कि सांड को लाल रंग से गुस्सा नहीं आता। यह सिर्फ एक मिथक है जो बुलफाइटिंग की परंपरा से जुड़ा हुआ है। सांड को गुस्सा दिलाने वाली चीज है हरकत, न कि रंग। अगली बार जब आप सड़क पर सांड देखें, तो डरें नहीं। बस शांत रहें और धीरे-धीरे वहां से निकल जाएं।