नीम करोली बाबा, जिन्हें भक्त प्रेम से महाराज जी भी कहते हैं, एक महान आध्यात्मिक गुरु और हनुमान जी के परम भक्त थे। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम आश्रम उनकी साधना और चमत्कारों का केंद्र है। यहाँ हर साल लाखों भक्त बाबा के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। कैंची धाम में नीम करोली बाबा को कंबल चढ़ाने की परंपरा विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसे भक्त सुख, शांति और शुभता प्राप्त करने के लिए अपनाते हैं। आइए जानते हैं कि कंबल चढ़ाते समय क्या बोलना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
कंबल चढ़ाने की परंपरा का महत्व
नीम करोली बाबा को कंबल बहुत प्रिय था, और वे अक्सर साधारण कंबल ही ओढ़ते थे। मान्यता है कि बाबा को कंबल अर्पित करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। यह कंबल बाबा के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि कैंची धाम से लाया गया कंबल घर में रखने या किसी रोगी को ओढ़ाने से सुख-शांति और स्वास्थ्य लाभ होता है।
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार एक दंपति ने बाबा को कंबल चढ़ाया और अपने बेटे की रक्षा के लिए प्रार्थना की। बाद में उनका बेटा, जो युद्ध में था, सुरक्षित लौटा और उसने बताया कि उसे एक बुजुर्ग संत की छवि दिखाई देती थी, जो उसकी रक्षा कर रही थी। इस घटना से कंबल चढ़ाने की परंपरा और गहरी हुई।
कंबल चढ़ाते समय क्या बोलें?
नीम करोली बाबा सादगी और प्रेम में विश्वास रखते थे। वे भव्यता या आडंबरों के बजाय भक्त के हृदय से निकले भावों को महत्व देते थे। कंबल चढ़ाते समय निम्नलिखित मंत्र या वाक्य श्रद्धापूर्वक बोल सकते हैं:
- “हे बाबा, यह कंबल आपके श्री चरणों में अर्पित है। कृपया इसे स्वीकार करें और अपनी कृपा बनाए रखें।”
- “महाराज जी, यह मेरी छोटी सी भेंट है। इसे स्वीकार कर मुझे सुखी जीवन का आशीर्वाद दें।”
- “जय बाबा नीम करोली, यह कंबल आपको समर्पित है। मेरी मनोकामनाएं पूर्ण करें।”
- “जय महाराज जी, मेरे परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखें और सभी कष्टों को हर लें।”
आप “जय श्री नीम करौली बाबा की” या “जय हनुमान जी की” जैसे भक्ति भरे जयकारे भी लगा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि आपके शब्द सच्चे और हृदय से निकले हों।
कंबल चढ़ाते समय इन बातों का रखें ध्यान
- शुद्धता का ध्यान रखें: कंबल चढ़ाने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। मन में श्रद्धा और भक्ति का भाव बनाए रखें।
- नया कंबल चुनें: हमेशा नया और साफ कंबल ही बाबा को अर्पित करें। यह आपकी श्रद्धा का प्रतीक है।
- सादगी बनाए रखें: बाबा को महंगे कंबल की नहीं, बल्कि आपके प्रेम और श्रद्धा की आवश्यकता है। साधारण कंबल भी स्वीकार्य है।
- प्रसाद के रूप में लाएं: कंबल चढ़ाने के बाद, आश्रम से प्रसाद के रूप में कंबल, चने-हलवे का प्रसाद या बाबा की तस्वीर घर लाएं। इसे पूजा स्थल पर रखें।
- आश्रम के नियमों का पालन करें: कैंची धाम में कंबल चढ़ाने की व्यवस्था पंडित जी के मार्गदर्शन में होती है। उनकी सलाह का पालन करें।
- नकारात्मक विचारों से बचें: कंबल चढ़ाते समय मन में कोई नकारात्मक विचार न लाएं। बाबा से सकारात्मकता और कृपा की प्रार्थना करें।
कैंची धाम कैसे पहुंचें?
कैंची धाम नैनीताल से 17 किलोमीटर और भवाली से 7 किलोमीटर दूर है। यहाँ पहुंचने के लिए:
- सड़क मार्ग: दिल्ली से नैनीताल तक बस या टैक्सी से 6-7 घंटे में पहुंचा जा सकता है। नैनीताल से टैक्सी या बस लेकर कैंची धाम जाएं।
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम (38 किमी) है, जहाँ से टैक्सी उपलब्ध है।
- हवाई मार्ग: पंतनगर हवाई अड्डा (70 किमी) निकटतम है, जहाँ से टैक्सी किराए पर ली जा सकती है।
आश्रम में रहने के लिए सस्ते शयनगृह (लगभग 200 रुपये प्रतिदिन) और भोजन की व्यवस्था उपलब्ध है।
कंबल चढ़ाने से लाभ
- सुख-शांति: कंबल चढ़ाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- रक्षा: मान्यता है कि बाबा का कंबल बुरी नजर और संकटों से रक्षा करता है।
- मनोकामना पूर्ति: सच्ची श्रद्धा से चढ़ाया गया कंबल भक्तों की इच्छाओं को पूरा करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: कैंची धाम का कंबल रोगी को ओढ़ाने से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
बाबा का संदेश
नीम करोली बाबा कहते थे, “सब कुछ प्रेम है।” वे भक्तों को प्रेम, सेवा और भक्ति का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देते थे। कंबल चढ़ाना केवल एक रस्म नहीं, बल्कि बाबा के प्रति श्रद्धा और प्रेम व्यक्त करने का माध्यम है।
निष्कर्ष
कैंची धाम में नीम करोली बाबा को कंबल चढ़ाना एक पवित्र और शुभ कार्य है। सच्चे मन से बाबा को कंबल अर्पित करें और उनके आशीर्वाद की कामना करें। कैंची धाम की शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा आपके जीवन को नई दिशा देगी।