मेटा ने ‘पिग बूचड़खाना’ घोटाले से जुड़े 20 लाख खातों को हटाया: जानें यह क्या है और कैसे काम करता है

Meta removes 2 million accounts linked to 'pig slaughterhouse' scam: Know what it is and how it works

फेसबुक और इंस्टाग्राम की मालिक कंपनी मेटा ने एक बड़ा कदम उठाया है। उसने ‘पिग बूचड़खाना’ नाम के एक बड़े ऑनलाइन घोटाले से जुड़े 20 लाख से ज्यादा खातों को बंद कर दिया है। यह घोटाला लोगों को धोखा देकर उनके पैसे लूटने का एक तरीका है। आइए जानते हैं इस घोटाले के बारे में और कैसे मेटा इससे लड़ रहा है।

‘पिग बूचड़खाना’ घोटाला क्या है?

‘पिग बूचड़खाना’ घोटाला एक तरह का ऑनलाइन धोखा है। इसमें धोखेबाज लोग पहले किसी व्यक्ति से दोस्ती करते हैं। फिर धीरे-धीरे उसका भरोसा जीतते हैं। जब वो व्यक्ति उन पर भरोसा करने लगता है, तो वे उसे झूठे निवेश में पैसा लगाने के लिए मनाते हैं। अक्सर यह निवेश क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा होता है।

इस घोटाले का नाम ‘पिग बूचड़खाना’ इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें धोखेबाज अपने शिकार को पहले ‘मोटा’ करते हैं यानी उसका भरोसा जीतते हैं। फिर जब वो पूरी तरह से फंस जाता है, तो उसके सारे पैसे लेकर भाग जाते हैं।

यह घोटाला कैसे काम करता है?

  1. धोखेबाज सोशल मीडिया, डेटिंग ऐप्स या फोन मैसेज के जरिए लोगों से संपर्क करते हैं।
  2. वे अपने शिकार से दोस्ताना बातचीत शुरू करते हैं और उसका भरोसा जीतने की कोशिश करते हैं।
  3. कुछ समय बाद वे अपने शिकार को किसी निवेश योजना के बारे में बताते हैं। यह योजना बहुत फायदेमंद दिखाई देती है।
  4. वे अपने शिकार को इस निवेश में पैसा लगाने के लिए मनाते हैं। अक्सर यह निवेश क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा होता है।
  5. शुरू में वे अपने शिकार को थोड़ा-थोड़ा पैसा निकालने देते हैं ताकि उसे लगे कि यह सच में फायदे का सौदा है।
  6. जब शिकार बड़ी रकम निवेश कर देता है, तो धोखेबाज सारा पैसा लेकर गायब हो जाते हैं।
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इस घोटाले के पीछे कौन है?

इस घोटाले को चलाने वाले अपराधी गिरोह ज्यादातर एशिया के देशों में काम करते हैं। कंबोडिया, लाओस और म्यांमार जैसे देशों में इनके बड़े-बड़े केंद्र हैं। ये लोग फर्जी नौकरी के विज्ञापन देकर लोगों को फंसाते हैं। फिर उन्हें जबरदस्ती इस धंधे में धकेल देते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 3 लाख लोगों को इस तरह के घोटाले करने के लिए मजबूर किया गया है। इन घोटालों से हर साल करीब 64 अरब डॉलर की चोरी होती है।

मेटा इस घोटाले से कैसे लड़ रहा है?

मेटा ने इस घोटाले से लड़ने के लिए कई कदम उठाए हैं:

  1. खातों को बंद करना: मेटा ने इस साल 20 लाख से ज्यादा ऐसे खाते बंद किए हैं जो इस घोटाले से जुड़े थे।
  2. जांच और कार्रवाई: मेटा पिछले दो साल से इस मामले की जांच कर रहा है। वह पुलिस और दूसरी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
  3. लोगों को जागरूक करना: मेटा अपने यूजर्स को इस घोटाले के बारे में जानकारी दे रहा है ताकि वे इससे बच सकें।
  4. नए सुरक्षा उपाय: मेटा अपने ऐप्स में नए सुरक्षा फीचर्स जोड़ रहा है जो यूजर्स को ऐसे घोटालों से बचाएंगे।

आप खुद को कैसे बचा सकते हैं?

  1. सावधान रहें: अगर कोई अनजान व्यक्ति आपसे ऑनलाइन बात करने की कोशिश करे तो सावधान रहें।
  2. निवेश के ऑफर पर शक करें: अगर कोई आपको बहुत ज्यादा फायदे वाला निवेश का ऑफर दे तो उस पर शक करें।
  3. जल्दबाजी न करें: किसी भी निवेश के बारे में फैसला लेने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करें।
  4. पैसों के बारे में सावधान रहें: किसी अनजान व्यक्ति को अपने बैंक या क्रेडिट कार्ड की जानकारी न दें।
  5. रिपोर्ट करें: अगर आपको लगता है कि कोई आपको धोखा देने की कोशिश कर रहा है तो उसे तुरंत रिपोर्ट करें।
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घोटाले का असर

इस तरह के घोटाले का असर बहुत गहरा होता है। लोग अपनी सारी जमा पूंजी गंवा देते हैं। कई लोग तो कर्ज में डूब जाते हैं। इसका मानसिक असर भी बहुत बुरा होता है। लोगों का भरोसा टूट जाता है और वे डिप्रेशन में चले जाते हैं।

इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम सब इस तरह के घोटालों के बारे में जागरूक रहें और एक-दूसरे को भी इसके बारे में बताएं।

दूसरी कंपनियों की भूमिका

मेटा अकेला नहीं है जो इस घोटाले से लड़ रहा है। कई दूसरी टेक कंपनियां भी इस लड़ाई में शामिल हुई हैं। जैसे:

  1. OpenAI: यह कंपनी धोखेबाजों द्वारा ChatGPT के गलत इस्तेमाल को रोकने की कोशिश कर रही है।
  2. Coinbase: यह क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज धोखेबाजों के बारे में जानकारी साझा कर रहा है।
  3. Match Group: टिंडर और हिंज जैसी डेटिंग ऐप्स चलाने वाली यह कंपनी भी इस लड़ाई में शामिल है।

ये सभी कंपनियां मिलकर एक गठबंधन बना रही हैं जिसका नाम है ‘टेक अगेंस्ट स्कैम्स कोअलिशन’। इस गठबंधन का मकसद है धोखेबाजों के बारे में जानकारी साझा करना और लोगों को जागरूक करना।

सरकारों की भूमिका

दुनिया भर की सरकारें भी इस समस्या से निपटने की कोशिश कर रही हैं। वे कानून बना रही हैं और पुलिस को ट्रेनिंग दे रही हैं ताकि वे इस तरह के घोटालों से निपट सकें। लेकिन यह काम आसान नहीं है क्योंकि ये घोटाले अक्सर एक से ज्यादा देशों में फैले होते हैं।

आगे क्या?

यह लड़ाई लंबी चलने वाली है। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बदलेगी, धोखेबाज भी नए तरीके ढूंढेंगे। इसलिए हमें हमेशा सतर्क रहना होगा। कंपनियों, सरकारों और आम लोगों को मिलकर इस समस्या से लड़ना होगा।

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याद रखें, अगर कोई ऑफर बहुत अच्छा लगे तो उस पर शक करें। अपने पैसों की सुरक्षा के लिए हमेशा सावधान रहें। और सबसे जरूरी बात, अगर आपको लगता है कि कोई आपको धोखा देने की कोशिश कर रहा है तो चुप मत रहिए। उसे रिपोर्ट कीजिए और दूसरों को भी बताइए।

इस तरह हम सब मिलकर इस बड़े घोटाले को रोक सकते हैं और अपने समाज को सुरक्षित बना सकते हैं।

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