गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी या गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे लोकप्रिय और धूमधाम से मनाए जाने वाले हिंदू त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है और हर साल भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। 2024 में गणेश चतुर्थी 7 सितंबर, शनिवार को है और गणेश विसर्जन 17 सितंबर, मंगलवार को होगा।
गणेश चतुर्थी का इतिहास काफी प्राचीन है। कहा जाता है कि इसकी शुरुआत 17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज ने की थी। उन्होंने इस पर्व को मुगलों के खिलाफ लड़ रहे अपने प्रजा में राष्ट्रवाद और एकता को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया। 1893 में, जब अंग्रेजों ने राजनीतिक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया, तब भारतीय राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक ने इस उत्सव को पुनर्जीवित किया।
गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। वे विघ्नहर्ता के नाम से भी जाने जाते हैं, जिसका अर्थ है बाधाओं को दूर करने वाले। हिंदू मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति को बुद्धि, सफलता और अच्छा भाग्य प्राप्त होता है।
इसके अलावा, किसी भी नए काम, परीक्षा, शादी या नौकरी की शुरुआत करते समय, भगवान गणेश के भक्त उनकी पूजा करते हैं, उनका आशीर्वाद मांगते हैं और उन्हें सफलता देने के लिए प्रार्थना करते हैं।
गणेश चतुर्थी कैसे मनाते हैं?
गणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में इसे विशेष रूप से बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। मुंबई, पुणे और हैदराबाद जैसे शहरों में यह उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
लोग गणपति बप्पा की मूर्ति को डेढ़ दिन, तीन दिन, सात दिन या दस दिनों के लिए घर लाते हैं। वे मूर्ति की स्थापना करते हैं, भगवान गणेश की पूजा करते हैं, विधि-विधान करते हैं, भोग लगाते हैं और उपवास रखते हैं।
इस दौरान, भगवान गणेश को उनके पसंदीदा व्यंजन मोदक, लड्डू और अन्य मिठाइयां भेंट की जाती हैं। भक्तगण गणेश आरती और भजन गाते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य और संगीत प्रदर्शन भी आयोजित किए जाते हैं।
उत्सव का समापन गणेश विसर्जन के साथ होता है। इस दिन, भक्त भारी मन से भगवान गणेश की मूर्तियों को पानी में विसर्जित करते हैं, और उम्मीद करते हैं कि बप्पा अगले साल फिर से लौटेंगे। विसर्जन के दौरान भव्य जुलूस निकाले जाते हैं और लोग ‘गणपति बप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या’ का उद्घोष करते हैं।
गणेश चतुर्थी 2024 के शुभ मुहूर्त
- पुणे: सुबह 11:18 बजे से दोपहर 1:47 बजे तक
- नई दिल्ली: सुबह 11:03 बजे से दोपहर 1:34 बजे तक
- चेन्नई: सुबह 10:53 बजे से दोपहर 1:21 बजे तक
- जयपुर: सुबह 11:09 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक
- हैदराबाद: सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:28 बजे तक
- गुरुग्राम: सुबह 11:04 बजे से दोपहर 1:35 बजे तक
- चंडीगढ़: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:36 बजे तक
- कोलकाता: सुबह 10:20 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक
- मुंबई: सुबह 11:22 बजे से दोपहर 1:51 बजे तक
- बेंगलुरु: सुबह 11:04 बजे से दोपहर 1:31 बजे तक
- अहमदाबाद: सुबह 11:23 बजे से दोपहर 1:52 बजे तक
- नोएडा: सुबह 11:03 बजे से दोपहर 1:33 बजे तक
गणेश चतुर्थी के दिन करें ये उपाय, मिलेगा विशेष लाभ
- गणेश पूजा: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन लाल फूल, दूर्वा घास, लाल चंदन और मोदक का भोग लगाएं।
- दान-पुण्य: गणेश चतुर्थी के दिन दान-पुण्य करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं। इस दिन ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र या धन दान करें।
- व्रत: गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन सुबह स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें और दिन भर निराहार रहें। शाम को गणेश पूजा के बाद व्रत खोलें।
- मोदक का भोग: गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय हैं। इस दिन उन्हें मोदक का भोग लगाने से वे बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
गणेश चतुर्थी पर ध्यान रखने योग्य बातें
- पर्यावरण संरक्षण: गणेश मूर्तियों को पानी में विसर्जित करते समय पर्यावरण का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। प्राकृतिक सामग्री से बनी मूर्तियों का ही इस्तेमाल करें और प्लास्टिक या अन्य हानिकारक सामग्री से बनी मूर्तियों से बचें।
- सुरक्षा: गणेश विसर्जन के दौरान भीड़ और अफरा-तफरी हो सकती है। ऐसे में अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखें। छोटे बच्चों पर विशेष ध्यान दें।
- कोविड सावधानियां: कोरोना महामारी के दौरान सामाजिक दूरी और मास्क पहनना न भूलें। बड़ी भीड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें और घर पर ही पूजा-अर्चना करने का प्रयास करें।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी भारत के सबसे प्रमुख और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि लोगों को एकजुट करने और सांस्कृतिक विरासत को संजोने का काम भी करता है। इस उत्सव के जरिए हम अपनी परंपराओं और मूल्यों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा सकते हैं। आइए, इस गणेश चतुर्थी हम सब मिलकर बप्पा के आगमन का जश्न मनाएं और उनसे सुख, समृद्धि और खुशियों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
गणपति बप्पा मोरया!