आज के समय में चेक के जरिए भुगतान करना एक आम और सुरक्षित तरीका माना जाता है। लेकिन अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है, तो यह न केवल आपकी साख को प्रभावित करता है, बल्कि कानूनी परेशानियों का कारण भी बन सकता है। चेक बाउंस को भारत में वित्तीय अपराध माना जाता है, और इसके लिए सजा का प्रावधान है। 1 अप्रैल 2025 से लागू हुए नए नियमों ने इसे और सख्त कर दिया है। आइए, जानते हैं कि चेक बाउंस क्या है, इसके लिए क्या सजा हो सकती है, और इससे बचने के क्या उपाय हैं।
चेक बाउंस क्या है?
चेक बाउंस, जिसे डिसऑनर चेक भी कहा जाता है, तब होता है जब चेक जारी करने वाले के बैंक खाते में पर्याप्त राशि नहीं होती या अन्य कारणों जैसे गलत हस्ताक्षर, गलत तारीख, कटे-फटे चेक, या खाता बंद होने के कारण बैंक चेक का भुगतान नहीं करता। इसे नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत एक दंडनीय अपराध माना जाता है।
चेक बाउंस के कारण
चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं:
- अपर्याप्त धनराशि: खाते में चेक की राशि से कम पैसा होना।
- हस्ताक्षर का बेमेल होना: चेक पर हस्ताक्षर बैंक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते।
- गलत तारीख: चेक पर पुरानी या भविष्य की तारीख होना।
- खाता बंद होना: चेक जारी करने वाला खाता बंद या निष्क्रिय होना।
- कटे-फटे चेक: चेक का फटना या अस्पष्ट होना।
- तकनीकी गलतियां: जैसे गलत खाता संख्या या MICR कोड।
चेक बाउंस की सजा: 2025 के नए नियम
1 अप्रैल 2025 से लागू नए नियमों के अनुसार, चेक बाउंस के मामलों में सजा और जुर्माने को और सख्त कर दिया गया है। प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:
- जेल की सजा: यदि कोई जानबूझकर चेक बाउंस करता है, तो उसे अधिकतम 2 साल की जेल हो सकती है। पहले यह सजा 1 साल तक थी।
- जुर्माना: चेक की राशि का दोगुना तक जुर्माना लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर चेक 1 लाख रुपये का है, तो जुर्माना 2 लाख रुपये तक हो सकता है।
- प्रतिकर: कोर्ट चेक राशि का दोगुना तक प्रतिकर देने का आदेश दे सकता है।
- बैंकिंग प्रतिबंध: बार-बार चेक बाउंस होने पर बैंक खाता बंद कर सकता है या चेकबुक सुविधा रद्द कर सकता है।
- लोन पर प्रभाव: चेक बाउंस को लोन डिफॉल्ट के रूप में माना जा सकता है, जिससे सिबिल स्कोर खराब हो सकता है और भविष्य में लोन लेने में दिक्कत हो सकती है।
- तत्काल सूचना: बैंक को चेक बाउंस होने पर 24 घंटे के भीतर SMS और ईमेल के जरिए ग्राहक को कारण बताना अनिवार्य है।
कानूनी प्रक्रिया: क्या करें अगर चेक बाउंस हो जाए?
अगर आपका चेक किसी को दिया और वह बाउंस हो गया, या किसी ने आपको बाउंस चेक दिया, तो निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
चेक प्राप्तकर्ता (Payee) के लिए:
- बैंक से नोटिस प्राप्त करें: बैंक चेक बाउंस होने पर “चेक रिटर्न मेमो” जारी करता है, जिसमें बाउंस का कारण बताया जाता है।
- कानूनी नोटिस भेजें: चेक बाउंस होने के 30 दिनों के भीतर चेक जारीकर्ता को लिखित नोटिस भेजें, जिसमें 15 दिनों के भीतर भुगतान की मांग हो।
- कोर्ट में शिकायत: अगर 15 दिनों में भुगतान नहीं होता, तो नोटिस की तारीख से 30 दिनों के भीतर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत दर्ज करें।
- वकील की सलाह: एक अनुभवी चेक बाउंस वकील से परामर्श करें, जो कागजी कार्रवाई और कोर्ट प्रक्रिया में मदद करेगा।
चेक जारीकर्ता (Drawer) के लिए:
- तुरंत संपर्क करें: अगर आपका चेक बाउंस हुआ, तो लाभार्थी से संपर्क करें और कारण बताएं। 15 दिनों के भीतर भुगतान करने की कोशिश करें।
- कानूनी सलाह लें: अगर मामला कोर्ट में जाता है, तो वकील से सलाह लें। आप यह साबित कर सकते हैं कि चेक बिना किसी कानूनी दायित्व के जारी किया गया था।
- जमानत का विकल्प: चेक बाउंस एक जमानती अपराध है। अंतिम फैसले तक आप जेल से बच सकते हैं। कोर्ट में जमानत याचिका दायर करें।
चेक बाउंस से बचाव के आसान तरीके
चेक बाउंस की स्थिति से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतें:
- खाते में पर्याप्त बैलेंस: चेक जारी करने से पहले सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त राशि है।
- सही विवरण भरें: चेक पर सही तारीख, राशि, हस्ताक्षर, और प्राप्तकर्ता का नाम स्पष्ट रूप से लिखें।
- हस्ताक्षर की जांच: हस्ताक्षर बैंक रिकॉर्ड से मेल खाना चाहिए।
- चेक की स्थिति जांचें: चेक फटा या पुराना नहीं होना चाहिए।
- डिजिटल भुगतान पर विचार: अगर संभव हो, तो UPI, NEFT, या RTGS जैसे डिजिटल भुगतान विकल्पों का उपयोग करें।
- लोन के स्रोत की जांच: अगर चेक किसी लोन के बदले लिया जा रहा है, तो लोन देने वाले के आय के स्रोत की जांच करें।
- पहली बार बाउंस पर सेटलमेंट: अगर चेक पहली बार बाउंस हुआ है, तो कोर्ट केस से पहले सेटलमेंट का मौका मिलता है। इसका लाभ उठाएं।
चेक बाउंस केस में कोर्ट फीस
चेक बाउंस केस की कोर्ट फीस चेक की राशि और राज्य के नियमों पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, 32 लाख रुपये के चेक के लिए कोर्ट फीस लगभग 0.5% से 2% तक हो सकती है, जो राज्य सरकार के नियमों के अनुसार अलग-अलग होती है। सटीक जानकारी के लिए स्थानीय कोर्ट या वकील से संपर्क करें।
निष्कर्ष
चेक बाउंस एक गंभीर वित्तीय अपराध है, जिसके लिए 2025 में लागू नए नियमों ने सजा और जुर्माने को और सख्त कर दिया है। चेक जारी करते समय सावधानी बरतें और अपने खाते में पर्याप्त बैलेंस रखें। अगर चेक बाउंस हो जाए, तो तुरंत कानूनी सलाह लें और सेटलमेंट का प्रयास करें। सही जानकारी और सावधानी से आप इस कानूनी परेशानी से बच सकते हैं।