आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025: पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा, जानें विधि और महत्व

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025: पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा, जानें विधि और महत्व

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, और गुप्त नवरात्रि उन भक्तों के लिए खास है जो मां दुर्गा की साधना गुप्त रूप से करते हैं। आषाढ़ माह में मनाई जाने वाली गुप्त नवरात्रि 2025, 26 जून से शुरू होकर 4 जुलाई तक चलेगी। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के साथ-साथ दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। पांचवें दिन, यानी 30 जून 2025 को, मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। यह दिन प्रेम, करुणा और मातृत्व की शक्ति का प्रतीक है। आइए जानते हैं मां स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र और महत्व के बारे में।

मां स्कंदमाता का स्वरूप और महत्व

मां स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, जिन्हें युद्ध और बुद्धि का देवता माना जाता है। स्कंद पुराण में मां स्कंदमाता के विराट और करुणामयी स्वरूप का वर्णन किया गया है। वे कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और उनकी चार भुजाएं हैं। दो हाथों में कमल पुष्प, एक हाथ में भगवान स्कंद को गोद में लिए और एक हाथ से आशीर्वाद प्रदान करती हैं। मां स्कंदमाता का रंग श्वेत और वाहन सिंह है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को संतान सुख, ज्ञान, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। यह पूजा विशेष रूप से निसंतान दंपतियों के लिए फलदायी मानी जाती है। साथ ही, यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर जीवन में सकारात्मकता लाती है।

मां स्कंदमाता पूजा विधि

गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  1. प्रातः स्नान और तैयारी: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
  2. पूजा स्थल की शुद्धि: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। एक चौकी पर पीला या सफेद वस्त्र बिछाएं और मां स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. कलश स्थापना: यदि पहले दिन कलश स्थापना नहीं की गई है, तो शुभ मुहूर्त में मिट्टी के कलश में गंगाजल, सुपारी, अक्षत और आम के पत्ते डालकर स्थापित करें। कलश को लाल कपड़े से लपेटें।
  4. पूजा सामग्री: मां को लाल या पीले फूल (विशेष रूप से कमल), चंदन, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप, और नैवेद्य के रूप में केला, मिठाई, और पंचामृत अर्पित करें।
  5. मंत्र जाप: मां स्कंदमाता का ध्यान करते हुए निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें:
    • मंत्र: ॐ देवी स्कंदमातायै नमः
    • बीज मंत्र: ॐ ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नमः
  6. दुर्गा सप्तशती पाठ: दुर्गा सप्तशती या देवी कवच का पाठ करें। यह साधना को और प्रभावी बनाता है।
  7. भोग: मां को केले का भोग लगाएं। मान्यता है कि केला अर्पित करने से मां प्रसन्न होती हैं और ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं।
  8. आरती और कन्या पूजन: पूजा के अंत में मां स्कंदमाता की आरती करें। कन्या पूजन करें और प्रसाद वितरित करें।
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शुभ मुहूर्त

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 में पांचवें दिन (30 जून 2025) पूजा के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:05 से 04:45 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:56 से दोपहर 12:52 बजे तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 08:46 बजे से पूरे दिन

इन मुहूर्त में पूजा करने से मां की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

मां स्कंदमाता पूजा के लाभ

  • संतान सुख: निसंतान दंपतियों को मां स्कंदमाता की पूजा से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
  • ज्ञान और शांति: मां स्कंदमाता ज्ञान और मोक्ष की देवी हैं, जो भक्तों को बुद्धि और शांति प्रदान करती हैं।
  • सुख-समृद्धि: उनकी पूजा से घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: यह पूजा जीवन की बाधाओं और नकारात्मकता को दूर करती है।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • पूजा के दौरान सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस आदि) से बचें।
  • पूजा स्थल पर स्वच्छता बनाए रखें और नियमित रूप से दीपक जलाएं।
  • मां को लाल या पीले फूल अर्पित करें, लेकिन आक, मदार, या तुलसी न चढ़ाएं।
  • साधना को गुप्त रखें, क्योंकि गुप्त नवरात्रि में गोपनीयता का विशेष महत्व है।

निष्कर्ष

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों को मातृत्व की शक्ति, ज्ञान और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। विधि-विधान से की गई पूजा और मंत्र जाप से मां की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। इस पवित्र अवसर पर मां स्कंदमाता की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय बनाएं।

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