12 जून 2025 को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 (बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर) टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद मेघनीनगर क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस भीषण हादसे में 242 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से 241 लोगों की मौत हो गई, जबकि एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति, ब्रिटिश नागरिक विश्वासकुमार रमेश, का अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा है। इसके अलावा, जमीन पर मौजूद कई लोगों की भी जान गई, जिससे मृतकों की संख्या 270 से अधिक हो गई है।
ब्लैक बॉक्स की खोज: जांच में महत्वपूर्ण कदम
हादसे की जांच में महत्वपूर्ण प्रगति तब हुई, जब 13 जून को विमान के मलबे से एक ब्लैक बॉक्स, यानी फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR), को मेडिकल कॉलेज के एक हॉस्टल की छत से बरामद किया गया। दूसरा ब्लैक बॉक्स, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR), भी बाद में मिल गया। ये दोनों उपकरण विमान हादसे की वजहों का पता लगाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
ब्लैक बॉक्स में दो मुख्य उपकरण होते हैं:
- फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): यह विमान की गति, ऊंचाई, इंजन प्रदर्शन, और उड़ान नियंत्रण जैसे तकनीकी डेटा को रिकॉर्ड करता है।
- कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): यह कॉकपिट में पायलटों की बातचीत, अलार्म, और अन्य ध्वनियों को रिकॉर्ड करता है।
इन उपकरणों में दर्ज जानकारी से यह समझने में मदद मिलेगी कि विमान के टेकऑफ के बाद क्या हुआ और हादसे का कारण क्या था—चाहे वह तकनीकी खराबी, इंजन की विफलता, पक्षी से टकराव, या मानवीय त्रुटि हो।
पायलट का आखिरी संदेश
जांच में पता चला कि विमान के पायलट, कैप्टन सुमीत सभरवाल, ने टेकऑफ के बाद हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) को “मेडे” (आपातकालीन) कॉल किया था। उनके संदेशों में “थ्रस्ट नहीं मिला” और “गिर रहा है” जैसे शब्द शामिल थे। टेकऑफ के लगभग 33 सेकंड बाद विमान 650 फीट की ऊंचाई पर पहुंचा और फिर तेजी से नीचे गिरकर मेघनीनगर में एक मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर जा गिरा, जिसके बाद भीषण आग लग गई।
जांच का दायरा और सरकारी कदम
केंद्र सरकार ने इस हादसे की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय बहु-विषयक समिति का गठन किया है, जिसकी रिपोर्ट तीन महीने में आने की उम्मीद है। समिति में गृह मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, गुजरात पुलिस, और भारतीय वायुसेना के विशेषज्ञ शामिल हैं। इसके अलावा, अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और यूके के विशेषज्ञ भी जांच में सहायता कर रहे हैं।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयर इंडिया के सभी बोइंग 787 विमानों की सुरक्षा जांच का आदेश दिया है, जिसमें इंजन, फ्लैप, और लैंडिंग गियर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि विमान का टेकऑफ कॉन्फिगरेशन सही नहीं हो सकता था।
मानवीय पहलू: पीड़ितों की पहचान और मुआवजा
हादसे के बाद अहमदाबाद सिविल अस्पताल में शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्टिंग चल रही है। 14 जून तक 31 शवों की पहचान हो चुकी थी। पीड़ितों में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली, और 1 कनाडाई नागरिक शामिल थे। इनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी थे।
एयर इंडिया ने मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपये और टाटा समूह ने जमीन पर मारे गए लोगों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति को भी 25 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।
आगे की राह
ब्लैक बॉक्स डेटा को डिकोड करने के लिए अमेरिका भेजा जाएगा, क्योंकि भारत में अभी FDR रीडर तकनीक उपलब्ध नहीं है। इस डेटा से हादसे के सटीक कारणों का पता चलने की उम्मीद है। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा, “यह हादसा पूरे देश के लिए एक त्रासदी है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जांच पारदर्शी हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जाए।”
अहमदाबाद विमान हादसा भारत की सबसे भीषण विमानन त्रासदियों में से एक है। ब्लैक बॉक्स डेटा और विशेषज्ञों की जांच से जल्द ही इस त्रासदी के कारणों का खुलासा होने की उम्मीद है, जिससे भविष्य में उड्डयन सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके।