क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 की सूची जारी हो चुकी है, और भारतीय उच्च शिक्षा के लिए यह एक गौरवपूर्ण क्षण है। इस साल भारत के 54 विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने इस प्रतिष्ठित वैश्विक रैंकिंग में जगह बनाई है, जो पिछले साल की तुलना में 8 संस्थानों की वृद्धि दर्शाता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली ने 123वें स्थान के साथ भारत में शीर्ष स्थान हासिल किया है, जबकि IIT मद्रास ने पहली बार टॉप 200 में प्रवेश करते हुए 180वां स्थान प्राप्त किया है।
IIT दिल्ली ने बनाया नया कीर्तिमान
IIT दिल्ली ने इस साल वैश्विक रैंकिंग में 27 स्थानों की छलांग लगाई है। पिछले साल यह 150वें स्थान पर था, और 2024 में 197वें स्थान पर। इस उल्लेखनीय सुधार का श्रेय संस्थान के उत्कृष्ट प्रदर्शन को जाता है, खासकर नियोक्ता प्रतिष्ठा (50वां स्थान), शोध उद्धरण (86वां स्थान), और अकादमिक प्रतिष्ठा (142वां स्थान) जैसे प्रमुख मापदंडों में। IIT दिल्ली ने अमेरिका की जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ संयुक्त रूप से 123वां स्थान साझा किया है।
IIT मद्रास की ऐतिहासिक उपलब्धि
IIT मद्रास ने 47 स्थानों की जबरदस्त छलांग लगाकर 180वां स्थान हासिल किया है, जो इसे वैश्विक टॉप 200 में शामिल होने वाला तीसरा भारतीय संस्थान बनाता है। संस्थान ने अकादमिक प्रतिष्ठा, नियोक्ता धारणा, फैकल्टी-छात्र अनुपात, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन किया। IIT मद्रास ने इस उपलब्धि को अपनी समुदाय की मेहनत और सहयोग का परिणाम बताया।
IIT बॉम्बे का प्रदर्शन
IIT बॉम्बे, जो पिछले साल 118वें स्थान पर था, इस बार 129वें स्थान पर खिसक गया, लेकिन यह अभी भी वैश्विक टॉप 130 में बना हुआ है। नियोक्ता प्रतिष्ठा में यह 39वें स्थान पर है, जो इसकी मजबूत वैश्विक पहचान को दर्शाता है।
भारत की वैश्विक उपस्थिति
QS रैंकिंग 2026 में भारत चौथा सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश बन गया है, जिसमें 54 संस्थानों ने जगह बनाई है। यह संख्या अमेरिका (192 संस्थान), यूनाइटेड किंगडम (90 संस्थान), और चीन (72 संस्थान) के बाद आती है। पिछले एक दशक में भारत की रैंकिंग में शामिल संस्थानों की संख्या 11 से बढ़कर 54 हो गई है, जो 390% की वृद्धि दर्शाता है। यह G20 देशों में सबसे तेज वृद्धि है।
इस साल आठ नए भारतीय संस्थानों ने पहली बार QS रैंकिंग में प्रवेश किया है, जो किसी भी देश के लिए सबसे अधिक है। अन्य उल्लेखनीय संस्थानों में IIT खड़गपुर (215वां), भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बैंगलोर (219वां), IIT कानपुर (222वां), दिल्ली विश्वविद्यालय (328वां), IIT गुवाहाटी (334वां), और IIT रुड़की (339वां) शामिल हैं। तमिलनाडु की अन्ना यूनिवर्सिटी 465वें स्थान पर और मुंबई यूनिवर्सिटी 664वें स्थान पर है।
वैश्विक परिदृश्य
वैश्विक स्तर पर, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने लगातार 14वें वर्ष शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। इसके बाद इंपीरियल कॉलेज लंदन (दूसरा), स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (तीसरा), ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (चौथा), और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (पांचवां) स्थान पर हैं।
रैंकिंग के मापदंड
QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में 1,500 से अधिक संस्थानों का मूल्यांकन किया गया। रैंकिंग अकादमिक प्रतिष्ठा, नियोक्ता प्रतिष्ठा, फैकल्टी-छात्र अनुपात, शोध उद्धरण, अंतरराष्ट्रीय फैकल्टी और छात्र अनुपात, और स्थिरता जैसे मापदंडों पर आधारित है। इस साल एक नया मापदंड, “अंतरराष्ट्रीय छात्र विविधता”, भी जोड़ा गया है, हालांकि यह अभी रैंकिंग में शामिल नहीं है।
भारत के लिए गर्व का पल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने QS रैंकिंग में भारत के प्रदर्शन की सराहना की और कहा, “यह हमारी शिक्षा प्रणाली के लिए शानदार समाचार है। हमारी सरकार भारत के युवाओं के लिए अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।” शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी इस उपलब्धि को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और अनुसंधान अनुदानों के प्रभाव का परिणाम बताया।
आगे की चुनौतियां
हालांकि भारत ने रैंकिंग में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय छात्र और फैकल्टी की उपस्थिति में अभी सुधार की आवश्यकता है। 78% भारतीय संस्थानों का अंतरराष्ट्रीयकरण स्कोर कम या घट रहा है, जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक चुनौती है।
QS के क्षेत्रीय निदेशक अश्विन फर्नांडिस ने कहा, “भारत की प्रगति न केवल इसके अग्रणी संस्थानों की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा को दर्शाती है, बल्कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इसकी बढ़ती महत्वाकांक्षा को भी दर्शाती है।”
निष्कर्ष
QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारत का प्रदर्शन देश की शिक्षा प्रणाली की बढ़ती ताकत और वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है। IIT दिल्ली, IIT बॉम्बे, और IIT मद्रास जैसे संस्थानों ने न केवल भारत का नाम रोशन किया है, बल्कि अन्य विश्वविद्यालयों के लिए भी एक मिसाल कायम की है। यह उपलब्धि भारत के युवाओं और शिक्षा क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा है।