मखाना, जिसे फॉक्स नट्स या लोटस सीड्स के नाम से भी जाना जाता है, एक पौष्टिक और स्वादिष्ट नाश्ता है जो आजकल वैश्विक स्तर पर सुपरफूड के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक देश कौन सा है? भारत, विशेष रूप से बिहार, इस क्षेत्र में अग्रणी है, जो वैश्विक मखाना आपूर्ति का लगभग 90% हिस्सा प्रदान करता है। आइए जानते हैं इसकी खेती, महत्व और वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति के बारे में।
भारत: मखाना उत्पादन का केंद्र
भारत दुनिया में मखाना (Euryale ferox) का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। यह देश वैश्विक मखाना मांग का 80-90% पूरा करता है। भारत में मखाना की खेती मुख्य रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में होती है, लेकिन बिहार इस क्षेत्र में सबसे आगे है। बिहार अकेले भारत के मखाना उत्पादन का 85-90% हिस्सा योगदान देता है, जिसमें मिथिला क्षेत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
2022 में भारत ने 63.68 हजार टन मखाना बीज का उत्पादन किया, जिसमें से बिहार का योगदान सबसे अधिक था। मिथिला मखाना को 2022 में भौगोलिक संकेतक (GI) टैग मिला, जिसने इसकी गुणवत्ता और प्रामाणिकता को वैश्विक स्तर पर और मजnabhaक किया।
बिहार: मखाना का गढ़
बिहार के दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, सुपौल, अररिया, किशनगंज और सीतामढ़ी जिले मखाना उत्पादन के प्रमुख केंद्र हैं। इनमें से दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया और कटिहार बिहार के कुल उत्पादन का 80% हिस्सा प्रदान करते हैं। बिहार में मखाना की खेती लगभग 35,224 हेक्टेयर क्षेत्र में होती है, और यह संख्या पिछले दशक में लगभग तीन गुना बढ़ी है।
मखाना की खेती मुख्य रूप से स्थिर जलाशयों जैसे तालाबों, झीलों और दलदली क्षेत्रों में की जाती है। हाल के वर्षों में, राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र (NRCM) ने खेती की तकनीकों में सुधार किया है, जैसे कि उथग्न जल वाले खेतों में खेती और उच्च उपज वाली किस्मों जैसे स्वर्ण वैदेही और सबौर मखाना-1 का उपयोग। इन नवाचारों ने उत्पादन को बढ़ाया और किसानों की आय को लगभग तीन गुना किया है।
मखाना: एक पौष्टिक सुपरफूड
मखाना न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि यह पोषण से भी भरपूर है। यह प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस और कैल्शियम का उत्कृष्ट स्रोत है, जबकि इसमें कैलोरी और वसा की मात्रा कम होती है। इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण इसे वजन प्रबंधन, हृदय स्वास्थ्य और मधुमेह नियंत्रण के लिए आदर्श बनाते हैं। यह ग्लूटेन-मुक्त होने के कारण सेलियक रोग या ग्लूटेन असहिष्णुता वाले लोगों के लिए भी उपयुक्त है।
भारतीय व्यंजनों में मखाना का उपयोग खीर, रायता, करी और नमकीन स्नैक्स के रूप में किया जाता है। यह नवरात्रि जैसे त्योहारों में उपवास के भोजन के रूप में भी लोकप्रिय है। वैश्विक स्तर पर, मखाना को सलाद टॉपिंग, स्मूदी और नाश्ते के अनाज में शामिल किया जा रहा है।
वैश्विक बाजार में मखाना की मांग
मखाना का वैश्विक बाजार तेजी से बढ़ रहा है। 2023 में वैश्विक मखाना बाजार का मूल्य 43.56 मिलियन डॉलर था, और 2033 तक इसके 100 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत मखाना का सबसे बड़ा निर्यातक है, जो अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में निर्यात करता है। हालाँकि, बिहार में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और निर्यात बुनियादी ढांचे की कमी के कारण पंजाब और असम जैसे राज्य निर्यात में आगे हैं।
2025-26 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और विपणन को बढ़ावा देना है। यह बोर्ड किसानों को प्रशिक्षण, सरकारी योजनाओं का लाभ और बेहतर बाजार पहुंच प्रदान करेगा।
मखाना उद्योग के सामने चुनौतियाँ
हालांकि मखाना की मांग बढ़ रही है, लेकिन इसके उत्पादन में कई चुनौतियाँ हैं। मखाना की खेती श्रमसाध्य और महंगी है, क्योंकि बीजों को पानी के नीचे से हाथों से निकाला जाता है। कांटेदार पौधों के कारण किसानों को चोटें भी लगती हैं। इसके अलावा, बिहार में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और निर्यात सुविधाओं की कमी के कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता।
सरकार और निजी क्षेत्र इन चुनौतियों को दूर करने के लिए काम कर रहे हैं। मशीनों का उपयोग, जैसे रोस्टिंग और पॉपिंग मशीनें, ने उत्पादन प्रक्रिया को आसान और स्वच्छ बनाया है। इसके साथ ही, GI टैग और ‘वन जिला एक उत्पाद’ योजना ने मखाना को वैश्विक पहचान दिलाई है।
भविष्य की संभावनाएँ
मखाना उद्योग भारत, विशेष रूप से बिहार, के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास का एक बड़ा अवसर है। यह 5 लाख से अधिक छोटे और सीमांत किसानों, विशेष रूप से मल्लाह समुदाय और महिला-नेतृत्व वाली सूक्ष्म उद्यमों को रोजगार प्रदान करता है। आधुनिक तकनीकों, बेहतर बुनियादी ढांचे और सरकारी समर्थन के साथ, भारत मखाना के वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सकता है।
मखाना न केवल एक स्वस्थ नाश्ता है, बल्कि यह भारत की समृद्ध कृषि विरासत और बिहार की मेहनती किसान समुदाय की कहानी भी बयां करता है। जैसे-जैसे दुनिया में इस सुपरफूड की मांग बढ़ रही है, भारत इस क्षेत्र में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को और सशक्त करने के लिए तैयार है।