BRICS Summit: भारत का ब्राजील में अहम निर्णय—क्या है असर?

BRICS Summit: भारत का ब्राजील में अहम निर्णय—क्या है असर?

2025 का BRICS Summit ब्राजील के रियो डी जनेरियो में 6-7 जुलाई को होने वाला है, और सारी निगाहें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिकी हैं। यह समिट भारत के लिए एक बड़ा मंच है, जहां वह अपनी विदेश नीति (BRICS foreign policy) को और मजबूत करेगा। लेकिन सवाल यह है: भारत के फैसले वैश्विक मंच पर क्या असर डालेंगे? आइए, इस समिट की खास बातों, भारत की रणनीति, और इसके प्रभाव को आसान और संवादी अंदाज में समझें।

BRICS Summit 2025: एक झलक

BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) अब 10 देशों का एक शक्तिशाली समूह है, जिसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान, इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) हाल ही में शामिल हुए हैं। यह समूह विश्व की 45% आबादी और लगभग 39% वैश्विक GDP का प्रतिनिधित्व करता है। इस साल ब्राजील की अध्यक्षता में थीम है: “Strengthening Cooperation in the Global South for More Inclusive and Sustainable Governance.” यह थीम भारत की विदेश नीति के लिए एकदम फिट बैठती है, जो ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करने पर जोर देती है।

कब और कहां?

  • तारीख: 6-7 जुलाई 2025
  • स्थान: रियो डी जनेरियो, ब्राजील
  • मुख्य एजेंडा: ग्लोबल साउथ में सहयोग, जलवायु परिवर्तन, व्यापार, और वैकल्पिक भुगतान प्रणाली।

भारत की रणनीति: Modi Brazil में क्या करेंगे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समिट में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत का पक्ष रखेंगे। उनकी रणनीति में ये प्रमुख बिंदु शामिल हैं:

  1. आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख
    भारत BRICS को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश में है। हाल ही में पाकिस्तान के साथ चार दिवसीय संघर्ष के बाद, मोदी BRICS Summit India के मंच का इस्तेमाल क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद पर सख्त बयान देने के लिए कर सकते हैं। X पर चर्चा है कि भारत एक व्यापक एंटी-टेरर एजेंडा को मजबूत करना चाहता है, जो ग्लोबल साउथ के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है।
  2. वैकल्पिक भुगतान प्रणाली और स्थानीय मुद्रा में व्यापार
    BRICS देश SWIFT जैसे पश्चिमी वित्तीय सिस्टम के विकल्प पर काम कर रहे हैं। भारत ने अपनी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) की सफलता को BRICS Summit 2024 में हाइलाइट किया था और इसे और बढ़ावा देगा। मोदी स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को प्रोत्साहित करने पर जोर देंगे, ताकि वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम हो। हालांकि, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ किया कि भारत का इरादा डॉलर को पूरी तरह हटाने का नहीं है।
  3. ग्लोबल साउथ की आवाज
    भारत BRICS को ग्लोबल साउथ का लीडर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था, “BRICS ग्लोबल साउथ के लिए एक स्वतंत्र मंच है, जो वैश्विक शासन में समानता ला सकता है।” यह भारत की उस नीति को दर्शाता है, जो पश्चिमी देशों के साथ मजबूत रिश्तों को बनाए रखते हुए ग्लोबल साउथ की जरूरतों को प्राथमिकता देती है।
  4. चीन के साथ रिश्तों में सुधार
    2024 के Kazan समिट में मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात ने भारत-चीन सीमा विवाद में तनाव कम किया था। इस बार ब्राजील में दोनों नेताओं की संभावित मुलाकात पर नजर रहेगी, खासकर क्योंकि यह भारत की विदेश नीति (BRICS foreign policy) का अहम हिस्सा है।
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भारत के फैसलों का वैश्विक असर

BRICS Summit 2025 में भारत के निर्णय कई स्तरों पर असर डाल सकते हैं:

  1. आर्थिक प्रभाव
    • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB): भारत NDB के जरिए स्थानीय मुद्राओं में ऋण को बढ़ावा देगा, जो ग्लोबल साउथ के देशों के लिए फायदेमंद है।
    • वैश्विक व्यापार: BRICS Pay जैसे वैकल्पिक भुगतान सिस्टम से भारत और अन्य देश पश्चिमी प्रतिबंधों से बच सकते हैं।
    • तेल और कमोडिटी: नए सदस्यों (ईरान, UAE) के साथ BRICS अब विश्व के तेल उत्पादन का लगभग 50% नियंत्रित कर सकता है, जिससे भारत को ऊर्जा सुरक्षा में फायदा हो सकता है।
  2. भूराजनीतिक प्रभाव
    • भारत की गैर-पक्षपातपूर्ण नीति (non-aligned policy) BRICS को पश्चिम के खिलाफ नहीं, बल्कि एक समावेशी मंच के रूप में पेश करती है।
    • अमेरिका इसे “Rio Reset” के रूप में देख रहा है, जो G7 के लिए चुनौती हो सकता है। लेकिन भारत का संतुलित रुख उसे पश्चिम और ग्लोबल साउथ दोनों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने में मदद करता है।
  3. जलवायु और स्वास्थ्य सहयोग
    ब्राजील की अध्यक्षता में जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग पर जोर है। भारत BRICS Climate Leadership Agenda और सामाजिक रूप से निर्धारित बीमारियों को खत्म करने की पहल का समर्थन करेगा।

भारत की चुनौतियां और अवसर

चुनौतियां:

  • आंतरिक मतभेद: BRICS में भारत-चीन सीमा विवाद और रूस-चीन के पश्चिम-विरोधी रुख से भारत को संतुलन बनाना पड़ता है।
  • विस्तार की जटिलता: नए सदस्यों (जैसे मिस्र, इथियोपिया) के साथ सर्वसम्मति बनाना मुश्किल हो सकता है।

अवसर:

  • नेतृत्व का मौका: भारत ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने की स्थिति में है, खासकर अपनी लोकतांत्रिक छवि और पश्चिम के साथ अच्छे रिश्तों के कारण।
  • आर्थिक लाभ: BRICS के जरिए भारत को निवेश और व्यापार के नए रास्ते मिल सकते हैं।
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क्यों है ये समिट खास?

BRICS Summit 2025 भारत के लिए एक सुनहरा मौका है, जहां वह अपनी विदेश नीति को और मजबूत कर सकता है। मोदी का ब्राजील दौरा (Modi Brazil) न केवल BRICS देशों के साथ सहयोग बढ़ाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार और संतुलित लीडर के रूप में पेश करेगा। X पर चर्चा है कि यह समिट भारत की “विश्व गुरु” बनने की महत्वाकांक्षा को और मजबूत कर सकता है।

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