कीवी फल, जिसे हम आज जानते और पसंद करते हैं, की कहानी बहुत दिलचस्प है। यह छोटा सा भूरा और रोएंदार फल, जिसके अंदर हरा या सुनहरा गूदा होता है, दरअसल चीन से आया है। आइए जानें कैसे यह फल दुनिया भर में फैला और लोकप्रिय हुआ।
कीवी का जन्मस्थान: चीन
कीवी फल की शुरुआत चीन में हुई थी। यह मध्य और पूर्वी चीन का मूल निवासी है। 12वीं सदी में सोंग राजवंश के दौरान चीन में इस फल का पहला रिकॉर्ड किया गया विवरण मिलता है। उस समय लोग इसे जंगल से इकट्ठा करके दवा के रूप में इस्तेमाल करते थे। इसकी खेती बहुत कम होती थी।
चीन में इस फल को कई नामों से जाना जाता था:
- मीहौ ताओ
- यांग ताओ (जिसका मतलब है ‘सनी पीच’)
न्यूजीलैंड में कीवी का आगमन
1904 में एक बड़ा बदलाव आया। न्यूजीलैंड की एक स्कूल की प्रिंसिपल, इसाबेल फ्रेजर, चीन के मिशन स्कूलों का दौरा करने गईं। वहां से वो कीवी के बीज अपने साथ न्यूजीलैंड ले आईं।
1906 में एक नर्सरी के मालिक, अलेक्जेंडर एलिसन ने इन बीजों को लगाया। 1910 में पहली बार इन पौधों पर फल आए। शुरू में लोगों को इसका स्वाद अंगूर जैसा लगा, इसलिए इसे ‘चाइनीज गूजबेरी’ कहा जाने लगा।
कीवी की खेती का विकास
शुरुआत में कीवी एक अनोखा फल था, जिसे बहुत कम लोग उगाते थे। लेकिन 1950 के दशक में इसकी खेती बढ़ने लगी। एक नर्सरी के मालिक, हेवर्ड राइट ने ऐसी किस्म विकसित की जिसके फल बड़े, स्वादिष्ट और लंबे समय तक ताजा रहने वाले थे। इसे ‘हेवर्ड’ किस्म कहा गया और यह निर्यात के लिए मानक फल बन गया।
कीवी नाम की कहानी
1950 के दशक तक इस फल को ‘चाइनीज गूजबेरी’ के नाम से जाना जाता था। लेकिन 1959 में एक बड़ा बदलाव आया। न्यूजीलैंड की एक कंपनी, टर्नर्स एंड ग्रोवर्स ने इसका नाम बदलकर ‘कीवीफ्रूट’ रख दिया।
इसके पीछे कई कारण थे:
- अमेरिका में ठंडे युद्ध का समय था और ‘चाइनीज’ नाम से बिक्री में दिक्कत आ रही थी।
- ‘मेलोनेट्स’ नाम भी पसंद नहीं किया गया क्योंकि खरबूजे और बेरियों पर ज्यादा टैक्स लगता था।
- कीवी न्यूजीलैंड का राष्ट्रीय पक्षी है, इसलिए यह नाम चुना गया।
दुनिया भर में कीवी का फैलाव
1970 के दशक में कीवी का निर्यात तेजी से बढ़ा। न्यूजीलैंड से यह फल पहले ब्रिटेन और फिर 1960 के दशक में कैलिफोर्निया पहुंचा। धीरे-धीरे दुनिया के कई देशों में इसकी खेती शुरू हो गई।
आज कीवी इन देशों में उगाया जाता है:
- चीन
- न्यूजीलैंड
- इटली
- अमेरिका
- जापान
- ऑस्ट्रेलिया
- फ्रांस
- चिली
- स्पेन
भारत में भी कीवी की खेती होने लगी है। यहां यह मुख्य रूप से इन राज्यों में उगाया जाता है:
- हिमाचल प्रदेश
- उत्तर प्रदेश
- जम्मू-कश्मीर
- सिक्किम
- मेघालय
- अरुणाचल प्रदेश
- केरल
कीवी की खेती
कीवी एक बेल वाला पौधा है, जो अंगूर की तरह उगता है। इसकी खेती के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना पड़ता है:
- मौसम: कीवी को ठंडे मौसम की जरूरत होती है। इसे सर्दियों में 700-800 घंटे 7°C या उससे कम तापमान चाहिए।
- ऊंचाई: यह 800-1500 मीटर की ऊंचाई पर अच्छा उगता है।
- बारिश: साल में लगभग 150 सेंटीमीटर बारिश इसके लिए अच्छी होती है।
- मिट्टी: गहरी, उपजाऊ और पानी की निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।
- पीएच: मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
- रोपाई: पौधों को 4-5 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है।
- परागण: कीवी के नर और मादा फूल अलग-अलग पौधों पर आते हैं। इसलिए अच्छी फसल के लिए 8 मादा पौधों के बीच 1 नर पौधा लगाया जाता है।
कीवी के फायदे
कीवी सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि बहुत गुणकारी भी है:
- यह विटामिन बी और सी का अच्छा स्रोत है।
- इसमें फॉस्फोरस, पोटैशियम और कैल्शियम जैसे खनिज पदार्थ भी होते हैं।
- इसे ताजा खाया जा सकता है या सलाद और मिठाइयों में मिलाया जा सकता है।
- इससे स्क्वैश और वाइन भी बनाई जाती है।
कीवी की फसल
कीवी के पौधे 4-5 साल में फल देना शुरू कर देते हैं। लेकिन व्यावसायिक उत्पादन 7-8 साल में शुरू होता है। फल मई के आसपास तोड़े जाते हैं। इन्हें हाथ से तोड़कर बड़े बैग में रखा जाता है।
एक पौधे से 50-100 किलोग्राम तक फल मिल सकते हैं। फलों को ग्रेडिंग, पैकिंग और स्टोर करने के लिए ले जाया जाता है। बाजार में कीवी अप्रैल से दिसंबर तक मिलते हैं।
निष्कर्ष
कीवी की कहानी दिखाती है कि कैसे एक छोटा सा फल चीन से शुरू होकर पूरी दुनिया में फैल गया। आज यह न सिर्फ स्वाद के लिए बल्कि अपने पोषक तत्वों के लिए भी जाना जाता है। भारत में भी इसकी खेती बढ़ रही है, जो किसानों के लिए एक नया अवसर है। अगली बार जब आप कीवी खाएं, तो याद रखें कि आप एक लंबी और रोचक यात्रा का हिस्सा खा रहे हैं!