चिंगम एक ऐसी चीज़ है जिसे हम सभी खाना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये चिंगम आखिर बनता कैसे है? आइए जानते हैं चिंगम बनाने की पूरी प्रक्रिया और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
चिंगम का इतिहास
- चिंगम चबाने का इतिहास काफी पुराना है। प्राचीन ग्रीक, माया और एज़्टेक लोग भी चिंगम जैसी चीज़ों को चबाते थे।
- आधुनिक चिंगम का आविष्कार 1860 के दशक में अमेरिका में थॉमस एडम्स ने किया था। उन्होंने सबसे पहले चिक्ले से बना चिंगम बनाया।
- 1928 में वॉल्टर डीमर ने पहली बार बबल गम बनाया जिससे बड़े-बड़े बबल्स बनाए जा सकते थे।
चिंगम कैसे बनता है?
चिंगम बनाने की प्रक्रिया में कई चरण शामिल होते हैं:
1. गम बेस बनाना
- चिंगम का मुख्य घटक गम बेस होता है जो प्लास्टिक पॉलिमर, वैक्स और सॉफ्टनर्स का मिश्रण होता है।
- गम बेस को एक बड़े मिक्सर में डालकर गर्म किया जाता है ताकि वो पिघल जाए और आसानी से मिक्स हो सके।
2. स्वाद और मिठास जोड़ना
- पिघले हुए गम बेस में कॉर्न सिरप, शुगर, सॉर्बिटॉल जैसे स्वीटनर्स मिलाए जाते हैं।
- इसके बाद इसमें विभिन्न फ्लेवर्स और कलर्स डाले जाते हैं। मिंट, फ्रूट जैसे कई तरह के फ्लेवर्स इस्तेमाल होते हैं।
3. चिंगम को आकार देना
- फ्लेवर्ड गम बेस को ठंडा करके एक बड़ी शीट में बेल दिया जाता है।
- इस शीट को स्ट्रिप्स में काटा जाता है और फिर उन्हें छोटे-छोटे पीस में काट दिया जाता है।
- इन टुकड़ों को चिंगम के अंतिम आकार में ढाला जाता है – जैसे स्टिक, स्क्वायर, बॉल आदि।
4. पैकेजिंग
- तैयार चिंगम को रैपर्स में पैक किया जाता है और फिर उन्हें बड़े पैकेट्स में डालकर मार्केट में भेज दिया जाता है।
- पैकेजिंग डिज़ाइन और रंग आकर्षक होते हैं ताकि लोग उन्हें खरीदने के लिए आकर्षित हों।
चिंगम चबाने के फायदे
1. मुंह की सफाई
चिंगम चबाने से लार का स्राव बढ़ता है जो मुंह में जमा बैक्टीरिया और खाने के कणों को साफ करने में मदद करता है। इससे दांतों में सड़न और मुंह की दुर्गंध कम होती है।
2. एकाग्रता में सुधार
कुछ अध्ययनों के अनुसार चिंगम चबाने से दिमाग में रक्त का प्रवाह बढ़ता है जिससे एकाग्रता और स्मरण शक्ति में सुधार होता है।
3. तनाव कम करना
चिंगम चबाने से तनाव कम होता है क्योंकि इससे कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर घटता है।
4. वजन घटाने में मदद
चिंगम चबाने से भूख कम लगती है और कैलोरी कम ग्रहण होती हैं। इससे वजन घटाने में मदद मिल सकती है।
चिंगम चबाने के नुकसान
1. दांतों को नुकसान
अगर चिंगम में चीनी है तो वो दांतों को नुकसान पहुंचा सकती है। मुंह के बैक्टीरिया चीनी को खाकर एसिड बनाते हैं जो दांतों के इनेमल को खराब कर सकता है।
2. जबड़े में दर्द
लगातार चिंगम चबाने से जबड़े और गले में दर्द हो सकता है। ज्यादा चबाने से TMJ डिसऑर्डर भी हो सकता है।
3. पेट संबंधी समस्याएं
चिंगम में मौजूद आर्टिफिशियल स्वीटनर्स जैसे सॉर्बिटॉल से पेट फूलने, गैस और दस्त हो सकते हैं।
4. एलर्जी का खतरा
कुछ लोगों को चिंगम के कुछ घटकों से एलर्जी हो सकती है।
चिंगम से जुड़े रोचक तथ्य
- दुनिया भर में हर साल लगभग 560,000 टन चिंगम की खपत होती है।
- अमेरिका चिंगम का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। औसतन हर अमेरिकी साल में 1.5 पाउंड चिंगम खाता है।
- चिंगम को निगलना हानिकारक नहीं होता। हालांकि ये पच नहीं पाता और शरीर से बाहर निकल जाता है।
- चिंगम चबाने से एकाग्रता बढ़ती है और तनाव कम होता है। ये दांतों के लिए भी फायदेमंद होता है।
- सबसे लंबे समय तक चिंगम चबाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड 3 दिन 2 घंटे का है!
निष्कर्ष
तो ये थी चिंगम बनने की पूरी प्रक्रिया और इससे जुड़ी कुछ मज़ेदार बातें। अगली बार जब भी आप चिंगम खाएं तो इन बातों को याद रखिएगा। चिंगम सिर्फ एक मीठा और फ्लेवरफुल गम ही नहीं, बल्कि इसका एक लंबा और दिलचस्प इतिहास भी है। तो चिंगम का मज़ा लीजिए और इसके फायदों का लुत्फ़ उठाइए!