एक ऐसा मंदिर जहां भगवान स्वयं हरते हैं भक्तों के कष्ट, जानिए श्री कल्याण जी मंदिर का रहस्य

श्री कल्याण जी मंदिर

राजस्थान अपने अद्भुत मंदिरों के लिए जाना जाता है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जिनसे जुड़ी रोचक कहानियां और रहस्य आज भी लोगों को आकर्षित करते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है श्री कल्याण जी का मंदिर जो राजस्थान के टोंक जिले में डिग्गी नगर में स्थित है।

कल्याण जी मंदिर का इतिहास

कल्याण जी मंदिर का निर्माण कब हुआ, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता। लेकिन मान्यता है कि इस मंदिर का पुनर्निर्माण 1527 ईस्वी में हुआ था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ के तत्कालीन राणा संग्राम सिंह के शासन काल में संवत् 1584 (1527 ईस्वी) में हुआ था।

मंदिर की स्थापना का संबंध सीकर के अंतिम राव राजा कल्याण सिंह से भी जोड़ा जाता है। इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार सीकर के राजा वलाब सिंह के पुत्र कल्याण सिंह ने इस मंदिर की स्थापना की थी।

कल्याण जी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

कल्याण जी मंदिर से जुड़ी एक रोचक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहते हैं कि एक बार इंद्र के दरबार में अप्सराओं का नृत्य चल रहा था। उसी दौरान एक अप्सरा उर्वशी हंसने लगी। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने उर्वशी को 12 वर्षों तक पृथ्वी पर रहने का श्राप दे दिया।

पृथ्वी पर आने के बाद उर्वशी सप्त ऋषियों के आश्रम में रहकर उनकी सेवा करने लगी। उसकी सेवा से प्रसन्न होकर ऋषियों ने उसे वरदान दिया कि वह अपने मनचाहे पति को प्राप्त करेगी।

इसी बीच उर्वशी की मुलाकात नारायण नगर के राजा पुरंजय से हुई। दोनों एक-दूसरे के प्रेम में पड़ गए। लेकिन एक दिन राजा शिकार खेलने जंगल चले गए और वहां एक बाघ ने उन्हें मार डाला। उर्वशी को जब यह पता चला तो वह व्याकुल हो गई।

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उर्वशी ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे राजा को जीवनदान दें। भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने राजा पुरंजय को पुनर्जीवित कर दिया। साथ ही उन्होंने वरदान दिया कि वे दोनों हमेशा साथ रहेंगे।

इसके बाद राजा पुरंजय और उर्वशी ने मिलकर भगवान विष्णु की प्रतिमा की स्थापना की और उनकी पूजा-अर्चना करने लगे। यही प्रतिमा आज कल्याण जी के नाम से प्रसिद्ध है और इसी के चारों ओर कल्याण जी मंदिर का निर्माण हुआ।

कल्याण जी मंदिर की विशेषताएं

  • कल्याण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
  • मंदिर में भगवान कल्याण जी की काले पत्थर की प्रतिमा विराजमान है जो करीब 3 फीट ऊंची है।
  • मंदिर के गर्भगृह में भगवान कल्याण जी के साथ उनकी पत्नी लक्ष्मी जी और भक्त हनुमान जी की मूर्तियां भी स्थापित हैं।
  • मंदिर के पास ही एक कुंड है जिसमें भगवान कल्याण जी के नहाने का पानी भरा जाता है। इस पानी से नहाने पर चर्म रोगों का इलाज होने की मान्यता है।
  • मंदिर में हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी से द्वादशी तक कल्याण जी की लक्खी पैदल परिक्रमा निकाली जाती है जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

कल्याण जी मंदिर में होने वाले उत्सव

कल्याण जी मंदिर में साल भर विभिन्न उत्सव और त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उत्सव इस प्रकार हैं:

  • जन्माष्टमी: भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान कल्याण जी का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
  • लक्खी पैदल परिक्रमा: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी से द्वादशी तक कल्याण जी की लक्खी पैदल परिक्रमा निकाली जाती है। इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
  • फाल्गुन मेला: फाल्गुन मास में कल्याण जी मंदिर में एक विशाल मेला लगता है जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
  • दीपावली और होली: दीपावली और होली के अवसर पर भी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और आयोजन किए जाते हैं।
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कल्याण जी मंदिर से जुड़े चमत्कार

कल्याण जी मंदिर को चमत्कारी मंदिर माना जाता है। मान्यता है कि यहां भगवान कल्याण जी अपने भक्तों के कष्ट स्वयं हर लेते हैं। मंदिर से जुड़े कुछ प्रमुख चमत्कार इस प्रकार हैं:

  • चर्म रोगों का इलाज: मंदिर के पास स्थित कुंड में भगवान कल्याण जी के नहाने का पानी भरा जाता है। इस पानी से नहाने पर चर्म रोगों जैसे सोरायसिस, एक्जिमा आदि का इलाज होने की मान्यता है।
  • मनोकामना पूर्ति: कहा जाता है कि भगवान कल्याण जी की पूजा-अर्चना और प्रार्थना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  • संतान प्राप्ति: संतान प्राप्ति के लिए भी लोग कल्याण जी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
  • पीड़ा निवारण: किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए भी लोग कल्याण जी की शरण में आते हैं।

कल्याण जी मंदिर में दर्शन-पूजन का समय

कल्याण जी मंदिर के कपाट सुबह 5 बजे खुलते हैं और रात 9 बजे बंद होते हैं। मंदिर में दर्शन-पूजन का सर्वोत्तम समय सुबह का माना जाता है। मंदिर में प्रातः काल 5 बजे मंगला आरती, दोपहर 12 बजे राजभोग आरती और रात 8 बजे शयन आरती का विशेष महत्व है।

कल्याण जी मंदिर कैसे पहुंचें

कल्याण जी मंदिर राजस्थान के टोंक जिले में डिग्गी नगर में स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए निम्न मार्ग अपनाए जा सकते हैं:

  • सड़क मार्ग: जयपुर से डिग्गी की दूरी लगभग 95 किमी है। आप जयपुर से बस या टैक्सी द्वारा सीधे डिग्गी पहुंच सकते हैं।
  • रेल मार्ग: डिग्गी का निकटतम रेलवे स्टेशन मालपुरा है जो डिग्गी से 35 किमी दूर है। आप ट्रेन से मालपुरा आकर वहां से बस या टैक्सी से डिग्गी पहुंच सकते हैं।
  • हवाई मार्ग: डिग्गी का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर है। जयपुर पहुंचने के बाद आप बस या टैक्सी से डिग्गी के लिए रवाना हो सकते हैं।
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कल्याण जी मंदिर राजस्थान के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां की अद्भुत कारीगरी, पौराणिक महत्व और चमत्कारी माहात्म्य लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यदि आप भी अपनी आस्था और विश्वास को मजबूत करना चाहते हैं तो एक बार जरूर इस मंदिर के दर्शन करें। भगवान कल्याण जी की कृपा से निश्चित रूप से आपके जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आएगी।

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